Posted by: PallaGhareAntare March 18, 2008
--- चौतौरी - १०६ ---
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हरे बिचरा लहरेले गीत सुनाउनि हर्के काका एक्लै सुन्नि गरेर बस्या रैचन। लु म नि आएं। फर्माईश नगर्नि भ'र होला अचेल लहरे गायब हुनि गर्‍या।

लु लहरे बजाउ त यी गीत। आज मुकेश इस्पिसल। केही रुमानी गीतहरु।

१) किसीकी मुस्कुराहटों पे हो निसार - अनाडी
२) तुम अगर मुझ्को ना चाहो तो कोइ बात नहिं, तुम किसी औरको चाहोगे तो मुश्किल होगी - दिल हि तो है
३) कई शदियोंसे, कई जन्मोंसे - मिलाप
४) चन्दन सा बदन - सरस्वती चन्द्र
५) सुहाना सफर और यह् मौसम हसीं - मधुमती
६) मेरा प्यार भि तु है - साथी

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