Posted by: ritthe February 19, 2008
चौतारी - १०१
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लोल नेत्रे, तमाखु मा आँखा नलाउ है, प्राण जाये लेकिन तमाखु नजाये
बोले तो मे जासुस नै हुँ रे नेत्रे
वो मामु लोग अप्पुनको जासुस बोलरेहला है
उस्को तो अभी यहिच टाल देने का है
ओये लहरे ज्यादा बक बक मत कर रे तु
अभी तेरेको इधरिच टप्का देनेका



 
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