Posted by: Birkhe_Maila February 15, 2008
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धन्यवाद् नेपे दाई, पुरा गजल अर्थ सहित राखिदिनुभएकोमा। अर्थ जेपिटि छैन अर्थ लाग्ने छ, राम्रो संग बल्ल बुझियो केहि शेरहरु !
ठूलीले बुझिछिन दोस्रो पोस्टमा हाहाहाहा उत्तर दिइन्!
गालीब बुढाको सबै भन्दा मन पर्ने गजल नराखि बस्न सकिएन, हुन त दुइटा शेर पहिला पनि कुन हो धागोमा लेख्या हो। फेरि एकपटक!
दिल-ए-नादान तुझे हुवा क्या है
आखिर इस दर्द कि दवा क्या है?
हमको उनसे वफा कि है उम्मीद
जो नहीँ जानते वफा क्या है
हम है मुश्ताक और वो बेजार
या इलाही ये माजरा क्या है
जब कि तुझ बिन नहीँ कोई मौजूद
फिर ये हंगामा ऐ खुदा क्या है
जान तुम पर निसार करता हुँ
मैँ नहीँ जानता दुआ क्या है
मुश्ताक- उत्सुक, चाखले भरिएको
बेजार- रिसाएको, उपेक्षाले भरिएको
या इलाही- हे भगवान भनेको जस्तो