Posted by: serial February 15, 2008
~~ चौतारी - शतकांक विशेष ~~
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एउता सायरी टाँसे है मैले

सालों बाद  नजाने क्या समा होगा, 
हम लोगो  मे  से नजने कौन कहाँ होगा!
फिर मिल्ना हुआ तो मिलेंगे ख्वाबो  मे,
जैसे सुखे गुलाब मिल्ते है किताबो मे!!!!!

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