Posted by: Birkhe_Maila February 15, 2008
भ्यालेनटाईम डे को गजल
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कुरा रोमांस, इमोशन र सेन्टिमेन्ट्समा समेत लजिकको आएछ! रजनिशको पुस्तक पढेको जस्तो लाग्यो! हेहेहे

 

एउटा मिर्जा गालीबको गन्थन-

हर इक बात पे कहते हो तुम कि तु क्या है
तुम हि कहो कि ये अंदाज-ए-गुफ्तगु क्या है

रगोँ मे दौडते फिरने के हम नहिँ कायल
जब आँख हि से न टपके तो फिर लहु क्या है

चिपक रहा है बदन पर लहु से पैराहन
हमारी जेबको अब हाजत-ए-रफु क्या है

जला है जिस्म जहाँ दिल भि जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजु क्या है

रहि ना ताकर-ए-गुफ्तार और हो भि
तो किस उम्मिद पे कहिले कि आरजु क्या है

 

अंदाज-ए-गुफ्तगु- कुरा गर्ने तरिका स्टाइल
पैराहन-लुगा, कपडा, सर्ट
हाजत-ए-रफु - रफ्फु (मेन्डिङ) गर्न पर्ने जरुरत
गुफ्तार- गफ, कुरा, वार्तालाप
ताकत-ए-गुफ्तार- वार्तालाप गर्ने ताकत,हिम्मत

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