Posted by: Madness January 10, 2008
-- चौतारी - ९३ --
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वहि बात हमि सोचिरहे थियो, सुसरा आज जा के मालुम कियो हमि लरकि काहेको पाए छेन। हँ? त सबकुछ सला सोलह आने पे सोलह आने ठिक चलेछ पर हरबार उ जो छ सलमान मार्काके हैन्डसमवा हमार भाग लुटेछ। हमि भि सोचेँछु बाँडि वाँडि बनानेको, और छातिके बाल सला सब बलेड लगाके उडानेको। पर ग गोरा बनावने करिम किधरको मिल्छ हमि मालुम किएछेन।

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