Posted by: ritthe January 10, 2008
-- चौतारी - ९३ --
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अभी ना जाओ छोड्कर

ए दिल अभी भरा नही
अभी अभी त्यो आयि हो
बहार बनके छायी हो
हावा को कुछ मेह्क्ने दो



ए साम ढल तो ले जरा
अभी तो कुछ कहाँ नही
अबी तो कुछ सुना नही

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