Posted by: Madness January 10, 2008
-- चौतारी - ९३ --
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सुनावनेको त सला सुनाइहाल्छु गना एक्टा हेन चार गो, पर बात दुसरा छ हियाँ। हँ? त उ दिन जब हमि गना पे गना सुनायो पर जानेको टेममा उफरी रिठे दाजुको बायँ कियो। हँ? त सला हमरो गबरु जवान बदनवाके भितर भि जो दिल छ उ त सला स्ट्राङ्ग छेन, हँ? त उ हमि गरिब आदमि छ हुजुर बहुते काँटा लगेछ। पर केहि छेन। त एक्टा उफरि हि छ जो हमको गना गावनेको बोल्छ, बाँकि बहुते लरकिलोग त जब हमि खेँ खेँ कर्छा पुरा दु  मिल दुर भागिला्छ। कुछ देरमा आइहाल्छु हुजुर कुछ काम वाममे अटके छु, बादमे गना गावँछु। तबतकके लिए जे राम जि कि।

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