Posted by: visitor January 9, 2008
~~ चौतारी -- २००८ ~~
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कह्तो कुहिरो ले ढप्प्क ढाकेको भञ्ज्याङ त | ए भाउते चौतारी मा घाम ताप्न अैसकेचन, ठुल्नानी को त निकै कुरा सुन्या हो तर भेट चै भा थेन , लौ है ठुल्नानी म परे बिस्टे, घुम्दा घुम्दै अैपुग्या यहाँ जानै मन लागेन, हिजो एही रिट्ठ्या घरमा बास बसे, चिया सिया पिउने हैन अब , धुर्बे को गाई ले दुध देन रे आज कालो चिया भे नि पिउनु पर्ला
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