Posted by: Madness November 15, 2007
~~ चौतारी तिहार विशेषांक ~~
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अरे राहुल भैया, अथि गावँ जानेको हमि टिकेट पाएन हुजुर। त वहि बात से हमि उ जो एक्टा मुहावरा छ वहि याद करके बैठे छु ' मन चङ्गा है तो लोटवामे गङ्गा है'। वहि हुजुर ठिक बुझेछ बागमति हि को गङ्गा सागर दुध सागर सब सागर बनावने। पर हमि अस्नान करनेको सटाएल थोडा चेन्ज कर्छ हुजुर। कहाँ काठमान्डो के जाह्रो हुजुर, हमि उ जो बागमतिके पानी जो छ, उ को हमि गागर मे भरके पहले घर लियावँछ, उकरके बादमा ब्वायल कर्छ और ठोडा कम गरम होनेको बादमा नहावँछ।

अरे हरिया कथि हालखबर छ? किधरको गायब भएको?

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