Posted by: Madness November 9, 2007
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चोतारीके सब गावँले लोगनको दिवालीके ढेर सारा शुभ्काम्ना और नेपालके सम्वत् ग्यारह सौ अठाइसके शुभ्काम्ना। साथ साथमे हमरो देशके नेपाली भाषाके महाकवि लछ्मि परसाद दैवकोटाके जनम जयन्तीके अवसरपे एक बारको ऊ महान नेपाली भाषाके कविको याद करिलिउँ।
हमि हलवाइके हियाँ जानेको लगेछु मिठाइ उठाई खरिद करनेको, और बाजार से पटाखा वटाखा भि लियावनेको जाने लगेछु, दिवालि लगेछ हम्लाई, और फिर छइठमे हमरो गावँ जानेको टिकट भि लेनेको छ, त हुजुर लोगनको हमि बादमे भेँट करके बतियावँछु, तब तकको लागि जे राम जि कि।