Posted by: serial October 30, 2007
~~चौतारी - ८४~~
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तरेमाम सबैलाई।रित्थे, ठुलि के छ।
ल औयो मेरो सयारी।

जब तक तु अप्ने दिल कि बाट मुझे सम्झएगी
मेरी शादी कही और हो जएगी


गम बचों कि चपानेकी चीज नही है ठुलि।
गले से अन्दर गया तो पेत गडबड हो जएगा।

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