Posted by: serial October 11, 2007
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अरे बेवकूफ था शाह जहाँन् जो इतना खर्चा किया ताज पर,
मै केह्ता हु, रोज एक नयी मुम्ताज आ जाती इतने पैसे के ब्याज पर
मै केह्ता हु, रोज एक नयी मुम्ताज आ जाती इतने पैसे के ब्याज पर