Posted by: Madness October 9, 2007
** चौतारी - दशैं विशेषांक **
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जे राम जि कि।

के करने हुजुर सला स्वास्थ् चोकिके कामले कर्दा टेमपे चोतारी आवनेको पाएन हमि, बहुते उ जो छ दुख् लागिरहेछ!

चितरे दाजु बढियाँ चोतारी तयार किएछ हमि ढेरोँ आसिर्वाद दिएछ।

सब गावँले लोगनके बात हमि सुन्यो, और थाहा पायो कि उ जो छ हमि लुङ्गि लगाईँके झुला खेलेछ। के कर्ने सुसरा अब् त लुङ्गि भि लगावनेको मिलने टेम छेन। जब से दसइँ आवँछ हम्रो लुङ्गि लगावने टेम जान्छ। त किन भन्नुहोस हुजुरलोग, त बात ऐसन छ कि जब दसईँ आवँछ त जाह्रो लाग्न थाल्छ हुजुर, तब जा के के बात कर्ने उ जो छ कठिन ठावँके पिलोके बात जो करनु भयो वैसन जगह जगह जाह्रो हुन्छ और हमि पइन्ट लगावँछ। खेँ.... खेँ... खेँ....

त सब गावँले दाजुभाइ लोगन और लरकिलोगन को दसईँके शुभकाम्ना दिएछ। के कर्ने हुजुर हमि अहिले हियाँ चोतारि गावँमे छ, सला पहले सालके दसईँमे त हमि गावँमे रामलिला कर्थियो, हमि राम बने पनि सितालाई पटावँथियो और सला राबन भने पनि सिता लाई पटावँथियो, पर सुरपरनखा सुसरी भिलेन खेलनेको आवँथ्यो! त यहि बात छ, बाँकि ढेरोँ बात बाद मे बतियाइहाल्छु।

जे राम जि कि।

Last edited: 09-Oct-07 05:01 PM
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