Posted by: Rahuldai September 6, 2007
~~चौतारी-७४~~
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तारेमाम्, ग्व्वाँचे, रिट्ठे, गोतामे, दादा। लौ रिट्ठेको टुक्रामा १ ईटा हामी पनि थपि दिन्छु। तुम चले जाओगे तो सोचें गे हम, हम ने क्या खोया हमने क्या पाया, जिन्दगी धूप तुम घना साया तुमको देखा तो ये खयाल आया।
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