Posted by: Rahuldai August 17, 2007
(ॐ)चौतारी ६९(ॐ)
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तारेमाम्। लस्सि को बात जो भै राखेको, हमरो बचपनको दिन याद आयो। बहुत लस्सि पिइयो हजुर्। इलाहबादमे हजुर्। इलाहबाद मे सब से पहेला हजुर्, तिर्थ राज प्रयाग यानी के गंगा जमुना सरस्वती कि संगम पापुलर् छ। उसके बाद, हामरी मोहल्ले का लम्बू जो छ, बचनवा, हाँ वो पनि पापुलर। उसके बाद तो म्याङो का लस्सि बहुत पापुलर्। हजुर्, अहिले सम्म पापुलर् को पापुलर् छ, सदाबहार्। अमिताभवा बुढ्ढे जो भै गवा, तर लस्सि जवान कि जवान। के बात है लस्सि का। समझ मा आइ रहेको छेन।
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