Posted by: भउते August 7, 2007
~~चौतारी-६७~~
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अरे कलुवा, तुम क्या समझ्ती हो? हम थोडी बेवकुफ हैँ ? हम भि दाँतोमे धार लगाके बैठे हैँ। अगर तुम चाकु धस्ने लगे तो उससे पेहेले हम तुम्हारी नाक, कान और गालाको जरेसे उखेल्दुङ्गा। तब तो तुम कहिँकी नारहेगी (सिर्फ किर्तिपुरके रहेगी)।
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