Posted by: Birkhe_Maila August 1, 2007
~~चौतारी - ६५~~
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लोल भाउते! अब्बि अपुन मुम्बैया इस्टाइल मारेगा, क्या! अबे भाउते पतझडके सडेले पत्ते, अबे सुखे खजुर के किडे लगे बिज, अबे खालि कोल्ड ड्रिन्क्स के मुडे हुवे स्ट्रा, कब से चुप बैठेला हुँ बिगडे टैपरिकाँर्डरकि तरह बजा हि जा रहा है। छोकरीको देखा नहिँ कि शुरु हो गया एडा। अबे, दिमाग का दहि मत कर, अपुनकि आज थोडि हटेलि है। अब्बि अपुनका भाइ, भाइ बोले तो वहि मुन्नाभाइ जेल वेल गएला है, अपुनको जरा सा भि खुजलि हो गया न बाप, आज तो अपुन घोडा दबा हि डालेगा। सर्ककट्। भउते भाइ सर्ट कट्!
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