Posted by: Madness July 16, 2007
~~चौतारी-६२~~
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धन्वाद् छ राहुल भैया। हुजुर हमिलाई जोश दिलायो सला और गना गावनेको दिल कर्यो हम्रो। त पान के पात गना गावँछ हमि। हम्रो मया सुन छेन हिरा छ हमरो मया....सुन छेन हिरा छ लरकि बिना मदनवाके दिल दु दु चिरा छ त पान के पात..... रे दिन के रात हमि गियो कलकत्ता हावडा हमि गियो...कलकत्ता हावडा लरकि हमको मुह बिगार्यो दिलमा चल्यो फावडा त पान के पात....रे दिन के रात हम्रो पनि एक्टा दिन आवने छ हम्रो पनि...एक्टा दिन आवने छ लम्बे बाल, दिलवालि हमिले भि पावने छ त पान के पात...रे दिन के रात जे राम जि कि।
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