Posted by: gwanche June 21, 2007
~~चौतारी - ६०~~
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कपाल पाल्ने सबैलाई छक्का भन्नुपर्छ भनेर साँचिकै छक्काहरुले टाउकाँ कपाल झर्ने औषधी हाल्छन रे अझ भेन भने धोबिनी-सोबिनीहरुलाई भुत्ल्याउन लाउँछन रे भन्नि सुनिया थ्यो कती साँचो हो था भेन। मैले इन्ड्या स्कुलाँ पढ्दाको साँचिकै घटना है (सरी है हिन्दीमा छ, सम्झेसम्म जस्ता तस्तै) क्लास टिचर (ए के सिंह): ए बिशाल ! ए क्या किया तुने अच्छी खासि मुछे आ रही थि तुम्हारे चेहेरे पे, मुड्वा दि। बsssडी नाइन्साफि है ठाकुर (गब्बर सिंह इस्ट्यालाँ)। ए के सिंहके क्लासमे कोइ मुछे नही मुड्वाएगा, कोsssइ नही। देखो मेरी मुछे, कलसे तुम लोग सभि मुछे रखके आना, मुछे तो मर्दाङीकि निसानी होती है। अर्को नेपाली साथी (लक्ष्मण): सर मुछे तो ओ रख्ते है जिन्को अपनी मर्दान्ङी पे सक होता है। ए के सिंह: तुम्हे मेरि मर्दान्ङि पे सक है, मेरे घरमे मेरा बेटा नहि देखा क्या? लक्ष्मण: क्या सबुत है कि ओ आपका बेटा है? भन्या जस्तै भो! btw पुन्टे दा छक्का भनेको के हो? क्रिक्रेट खेल्दा खेरि बनाउने छक्का हो? म त सधै चौका मात्रै हान्छु।
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