Posted by: Birkhe_Maila June 15, 2007
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दिल ए नादान तुझे हुवा क्या है
आखिर इस दर्दकि दवा क्या है
हमको उनसे है वफाकि उम्मीद
जो नहिँ जानते वफा क्या है
जब कि तुझ बिन नहिँ कोइ मौजूद
फिर ए हंगामा ए खुदा क्या है
जान तुम पर निसार करता हुँ
मै नहिँ जानता दुवा क्या है
गालिबको यो महान गजलको साथ-
शुक्रबारको सन्ध्याकालिन शराबि गजलमय जदौ! यो बिर्खे माईलाको!!
गजल उत्तम भए फलफुलको रस पिउँदै गजल सुन्दा पनि शराबको नशा लाग्ने रहेछ!!
जब यहाँ बजि है गजल ए गालिब
तव शराब और वो नशा क्या है :)