Posted by: Birkhe_Maila June 15, 2007
---चौतारी-५९---
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दिल ए नादान तुझे हुवा क्या है आखिर इस दर्दकि दवा क्या है हमको उनसे है वफाकि उम्मीद जो नहिँ जानते वफा क्या है जब कि तुझ बिन नहिँ कोइ मौजूद फिर ए हंगामा ए खुदा क्या है जान तुम पर निसार करता हुँ मै नहिँ जानता दुवा क्या है गालिबको यो महान गजलको साथ- शुक्रबारको सन्ध्याकालिन शराबि गजलमय जदौ! यो बिर्खे माईलाको!! गजल उत्तम भए फलफुलको रस पिउँदै गजल सुन्दा पनि शराबको नशा लाग्ने रहेछ!! जब यहाँ बजि है गजल ए गालिब तव शराब और वो नशा क्या है :)
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