Posted by: Madness June 7, 2007
--चौतारी-५७--
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राहुल भैयाके एगको गना कबिता देईखके हमको हम्रो वहि लरकिके चक्कर याद आएर हमि चक्कर खायो। त राहुल भैयाके सटाइलमे एगो गना कबिता हमि भि लिखेछ। पुनटे दाजु और गोत्मे भैयाके खातिर हमले भटभटिया खरिद कर्नेको कारन भि खोलेछ। रोने को तो हमि दुबे रोएछ, रोनेको तो हमि दुबे रोएछ हमले दिलसे रोएछ सुसरि गलिसरिनले आँख धोएछ सान्डेका तेल सब बेच्यो उसके खातिर पेसा जोडनेको चोलि लेहेङ्गा सब किन्यो हम्रो किस्मत फोडनेको हम्रो दिलमा पावँ रख्दै सुसरि हटिया रोज जन्थियो भेल पुरि दहि जलेबि भुँरि भरि बहुते खान्थियो हमि सोचेँ जवानि छ रमाईलो करिहाल्छ देर सवेर सुसरिलाई हमि मन परिहाल्छ प्यार दिएँ पेसा दिएँ हमलाई किचडमा लडायो हटिया से हि एक्टा छोरा उसलाई भटभटियामे उडायो रोने को तो हमि दुबे रोएछ रोनेको तो हमि दुबे रोएछ हमले दिलसे रोएछ सुसरि गलिसरिनले आँख धोएछ
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