Posted by: gwanche February 21, 2007
Soooo Happy - Finally I found
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जिन्दगी के सफर में गुजर जाते है जो मुकाम वह फिर नहिं आते, वह फिर नहिं आते फूल खिल्ते है, लोग मिलते है फूल खिल्ते है, लोग मिलते है मगर पतझड में जो फूल मुर्झा जाते है वह बहारों के आने से खिल्ते नहिं कुछ लोग एक रोज जो बिछड जाते है वह हजारों के आने से मिलते नहिं उमर भर चाहे कोइ पुकार करे उन्का नाम वह फिर नहिं आते, वह फिर नहिन आते जिन्दगी के सफर में........... आँख धोखा है, क्या भरोसा है आँख धोखा है, क्या भरोसा है सुनो दोस्तों शक दोस्ति का दुश्मन है अपने दिल में इसे घर बनाने ना दो कल तडप्ना पडे याद में जिनकि रोक लो रूठ कर उनको जाने न दो बाद में प्यार के चाहे भेजो हजारों सलाम वह फिर नहि आते, वह फिर नहिं आते जिन्दगी के सफर में............. सुबह आति है, शाम जाति है सुबह आति है, शाम जाति है युंहि वक्त चल्ता हि रहता है रुक्ता नहिं एक पल में ये आगे निकल जात है आदमि ठीक से देख पाता नहिं और पर्दे पे मन्जर बदल जाता है एक बार चले जाते हैं जो दिन-रात सुबह-शाम वह फिर नहिं आते, वह फिर नहिं आते जिन्दगी के सफर में........... wah...wah...wah... one of the classics from Anand Bakshi. The author leaves everyone mesmerizing by penning down facts of life in so simple words. Great!!!!
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