Posted by: Birkhe_Maila December 22, 2006
-- चौतारी ३८ --..
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के जाति दूधओ दूध रउसिओ रउसि भुनेर हामि बुडालाई क्यार्न डुबाम्न खोज्छौ ए असत्ति भाउते? म त तेति कुरो नै अर्दिन अनि पुन्टे बुडाले जे बोलेनि मनाँ पाप राख्तैनन गाँठे! हुँदा हुँदा झन कुरो बुझाउला गाम्लेलाई भनो यो भउते त झन सुरिएर अड्को थाप्छ बाबै! तिमी उरनठेउलाको कुरो जति सुनेनि उस्तै हो! लु मेरा कानाँ मजाओ हिन्दि गिद बजो म सुन्न थालेँ! जीन्दगी कि ना टुटे लडि प्यार कर ले घडि दो घडि हो लम्बि लम्बि उमरिया को छोडो प्यार कि एक घडि है बडि प्यार करले घडि दो घडि उन आखोँका हँसना भि क्या जिन आखोँमे पानी न हो वो जवानी जवानी नहिँ जिसकि कोहि कहानी न हो आँशु है खुसि कि लडि प्यार करले घडि दो घडि आज से अपना वादा रहा हम मिलेंगे हरेक मोड पर दिलकि दुनियाँ बसाएंगे हम गमकि दुनियाँका घर छोडकर हो जिने मरनेकि किसको पडि प्यार करले घडि दो घडि लाख गहरा हो सागर तो क्या प्यार से कुछ भि गहरा नहिँ दिलकि दिवानि हर मौज पर आशमानोँका पहरा नहिँ टुट जाएंगि हर हतकडि प्यार करले घडि दो घडि
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