Posted by: Birkhe_Maila April 15, 2006
Chautari - XIII
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उनके गलीका एक चक्कर काटके लौटा हुँ पर लगता है मैं चारों तिरथधाम करके लौटा नेपे दाजु, हिन्दिमा यो शेर त अति नै गजबको सुनियो! यसको नेपाली भर्सन पनि टास्नोस न है! हिन्दि भाषाको तपाईँको गजल हेरेर मलाई गुलाम अलिको एउटा गजल याद आयो र तुरन्त सुनेँ र तल लेख्दै छु! थोडि सि पि शराब थोडि ऊछाल दि कुछ इस तरहसे हमने जवानी निकाल दि हमने सिया है ईश्कमे होठोँको इस तरह जिसने भि दि जहाँमे हमारि मिसाल दि अब डर नहिँ किसिका जमानेमे दोस्तोँ हमने तो दुश्मनी भि मुहब्बतमे ढाल दि मै चुर हुँ नशेमे मुझे कुछ खबर नहिँ मुझपे निगाह ए’ शोख कब तुमने डाल दि युँ मुझको था तुम्हारे हि आनेका इन्तजार गुमनाम मैने मौत भि रस्तेमे टाल दि थोडि सि पि शराब थोडि ऊछाल दि कुछ इस तरहसे हमने जवानी निकाल
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