Posted by: Ocean January 27, 2006
CHAUTARI VIII
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दादाओ कुरो चित्त बुजो है मुलाइ नी ! अब भउतेकाजी, गोताएँ, जिम्माल बुडा, नेपे दाजै सपै जो कलाकार परे के रे ।अब चौताराँ यत्रा धेरै सिर्जना (केटी हैन है !) का पारखीहरु हुँदाहुँदै हाम्ले के पीर मानिराख्नी त नी ?
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