Posted by: world_map January 26, 2006
CHAUTARI VIII
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वाह! रामकिस्ने नि गीद गाम्न त सारै सिपालु रैछ, धन्नेबात है गीत लेख्देकोमा। मास्टर्नी दिदीको कविता नि बेजोडको छ, अति सुन्दर। ए सिरे, के छ हो केन्डाँडातिरको हालखबर? हिम्पात मच्याछ कि क्या हो त्याँ? लौ अर्को सिलोक हालें है: ॐ सहना भवतु सहनौ भुनक्तु सहविर्य करवा वहै तेजस्वीना: वधितमस्तु माविध्विशा: वहै।। मेरो कति मारक भो मास्टर्नी दिदी?
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