Posted by: Birkhe_Maila November 19, 2005
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हिन्दी फिल्म मौशम को-
दिल ढुन्ढता है फिर वहि फुरसत के रात दिन - २
बैठे रहे तसब रे जाना किये हुये
दिल ढुन्ढता है फिर वहि
जाडोँ कि नर्म धुप और आँगन मे लेटकर- २
आँखो पे खिचकर तेरे दामन के साये को -२
औँधे पडे रहे कभि करवट लिये हुये
दिल ढुन्ढता है फिर वहि
या गर्मियोँ कि रात जो पूर्वाइयाँ चले -२
ठन्डी सफेद चादरोँपे जागे देर तक -२
तारोँ को देखते रहे छत पर पडे हुये
दिल ढुन्ढता है फिर वहि
बर्फिलि सर्दियोँ मे किसि भि पहाड पर -२
वादिमे गुँजती हुयी खामोशिया सुने -२
आँखो मे भिगि भिगि सि लम्हे लिये हुये
दिल ढुन्ढता है फिर वहि
दिल ढुन्ढता है फिर वहि फुरसत के रात दिन - २
बैठे रहे तसब रे जाना किये हुये
दिल ढुन्ढता है फिर वहि