Posted by: shirish August 16, 2005
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ढुङ्गा हैन ईंटा हैन, दिल हो, किन नदुखोस्?
रुन्छु हजार चोटी, कोही मलाई, किन सतावोस्?
मन्दिर मस्जिद हैन, न त कसैको ढोकै या आँगन
बसेको छु म साझा बाटोमा, अरुले किन उठावोस्?
जिन्दगीका नियम र दु:खका दस्ताबेज (बास्तबमा) एकै हुन्
मृत्यू भन्दा पहिले, मुक्तिको आभास किन नजागोस् ?
जब तिम्रो रुप मध्यान्हको घाम भन्दा चम्किलो छ,
तिम्रो मुग्ध सुन्दरता छाडी पर्दामा को किन लुकोस् ?
सजिलै देखिने रुप; बाकि केबल लाज, मृगतृष्णाको
आफ्नो भन्ने सित भरोसा भए, पराई किन चाहियोस् ?
घाइते गालिब बिना, कस्को के काम रोकिया छ र?
किन रोवोस् नियास्रो भै, हाय हाय किन भनोस्?
दिल हि तो है नसँग औ खिश्त दर्द हे भर नआए क्योँ ?
रोएगेँ हम हजार बार कोई हमे सताए क्यो?
देर नहीँ, हरम नहीँ, दर नहि, आसता नहि
बैठे हे रह गुजर पे हम, गेर हमें ऊठाए क्योँ ?
कैदे हयात औ बन्द- ए-गम अस्ल मे दोनो एक है,
मौत से पहले आदमा गमसे नजात पाए क्योँ?
जब वो जमाल ए दिल फरोज सुरते मेहरे नीम रोज
आप हि हो नजा- सोज पर्दे मे मुँह छुपाए क्यो?
दश्न ए गमज जाँ नावक-ए-नाज बेपनाह
तेरा ही अक्से रुख सही सामने तेरे आये क्यों ?
remaining
हुस्न और उसपे हुस्न ?ए-जन रह गई बुलहवकी शर्म
अपने पे एतमाद है, गैरको अजमाए क्यों ?
वाँ वह गरुरे- इज्जो नाज यां यह हिजावे-पासे-वजाँ
राहमे हम मिले कहाँ वज्म मे वह बुलाये क्योँ ?
remaining
गालिब-ए-खस्ता के बगेर कौन से काम बन्द है?
रोइये जार-जार क्या, किजिये हाय हाय क्यों ?