Posted by: Dada Giri April 13, 2005
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आँभार:
सरु भक्त द्दित्तीय: अध्याय ५ का लागि
चयाँके: कृष्ण सापकोटा
आत्मे: आत्माराम पौडेल
गोबिन्द: गोबिन्द पौडेल
गुरु: गुरु
सञ्जु: *** ***
लोकराज: *** *** (कथामा भाग लिएकोमा)
सम्पुर्ण साझाबासी मित्रहरु: श्रवण र टिप्पणीका लागि।