Posted by: KaLaNkIsThAn January 21, 2005
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One more Geet...
Hindi again... eh... Flowin'... ke ho ke ho...
-------------------------------------------------------------------------------------------chingari
चिंगारी कोही भड्के तो सावन उसे बुझाये
सावन जो अग्न लगाए उसे कौन बुझाये
पतझड जो बाग उजाडे तो बाग बहार खिलाये
जो बाग बहारमे उजडे उसे कौन खिलाये
हमसे मत पुछो कैसे मन्दिर टुटा सपनोका
लोगोकि बात नही ये किस्सा है अपनोका
कोही दुस्मन ठेस लगाए तो मित जिया बहलाए
मनमित जो घाउ लगाए उसे कौन मिटाए
ना जाने क्या हो जाता जाने हम क्या कर जाते
पिते है तो जिन्दा है न पिते तो मर जाते
दुनिया जो प्यासा रख्खे तो मदिरा प्यास बुझाए
मदिरा जो प्यास लगाए उसे कौन बुझाए
माना तुफानके आगे नही चल्ता जोर किसीका
मौजो का दोष नही ये दोष है और किसीका
मझधारमे नैया डोले तो माझी पार लगाए
माझी जो नांव डुबोए उसे कौन बचाए
--anandBakshi --Rd