Posted by: KaLaNkIsThAn January 12, 2005
Songs palYing in my MIND!
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Aiiight.... Back again!!! Practice time once again... Ke gaaune hola?? आपसे मिलके हम कुछ बदल से गये शेर पढने लगे गुनगुनाने लगे पहेले मसहुर थि अपनी संजिंदगी अबतो जब देखिये मुस्कुराने लगे हमको लोगोंसे मिल्नेका कब शौंक था महफिल आराईका कब हमे जौंक था आपके वास्ते हमने ये भि किया मिल्ने जुल्ने लगे, आने जाने लगे इश्क बेघर करे इश्क बेदर करे इश्कका सच् है कोहि ठिकाना नहि हम जो कल तक ठिकाने के थे आदमी आपसे मिल्के कैसे ठिकाने लगे -- Nusrat -- Javed AkhTar
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