Posted by: Bennedict July 24, 2021
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लाल लाल स्याही
लाल लाल स्याहीमैं
आया है ईक पैगाम
मेरे हसीन गुरुरके
करनेको और बदनाम
मानना हैं मेरा हरबार
यथार्थ सारहिन हैं सब
यथार्थका अनुभुतिका मूलसार
मेरा लेखनशैलीमैं हैं अब
देखते नहीं हैं आप-हम
जैसे सब कुछ हैं होते
देखते रहते हैं हरदम
जैसे हम खुद हैं होते
जाते जाते कहुँगा फिर
बातोंकों दिलपें लेना मत
जाती दुश्मनी नहीं हाजिर
न ही लानेके हैं कोही लत
(स्टकदलालजीके नाम ईक छोटा सा पेशकश। आपका ही शब्द चयनसे यै कुछ लिख गया मैं।)