Posted by: pandeyji December 15, 2020
साईली
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खोला तरे सागर तरे संघार तर्न गारो भो
सैयौ चोटी मारिएको सांस फेर्न गारो भो
जिन्दगी यो बग्यो तेता भेल्बाड़ी बग्यो जता
बहिरहे बहिरहे बहिरहे
बहिरहे बहिरहे

पाईला हरु चलिरहे ठेगाना पाउन गारो भो
टुक्रा टुक्रा सपना हरुले महल सजाउन गारो भो
सिमल को भुवा उड्यो जता बेघ हावा को चल्यो जता
उडिरहे उडिरहे उडिरहे
उडिरहे उडिरहे

- साईली
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