Posted by: thankeshwor June 1, 2020
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हुजुर, कविता/सायरीको मौसम छ, यौन कथा नचल्ल्ने भयो साझामा तेसैले विधा परिबर्तन गरि केहि समय सायेरी /कविता तिर लाग्ने जमर्को गरे। भनाइ नै छ, जता पल्कु उतै ढल्कु , तेसैले पहिलो प्रयासको रुपमा एउटा सायेरी अर्ज गर्दै छु, आसा छ तामिल गर्नु हुन्छ -
"हर खुसि आप कि नाम कर्दी"
खड़े-खड़े साहिल पर हमने शाम कर दी,
अपना दिल और दुनिया आप के नाम कर दी,
ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ज़िंदगी,
बिना सोचे-समझे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी।
"हर खुसि आप कि नाम कर्दी"
खड़े-खड़े साहिल पर हमने शाम कर दी,
अपना दिल और दुनिया आप के नाम कर दी,
ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ज़िंदगी,
बिना सोचे-समझे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी।
मैंने हर एक सांस अपनी तुम्हारे नाम कर दी,
लोगो में ये ज़िन्दगी बदनाम कर दी,
अब ये आइना भी किस काम का मेरे,
मैंने तो अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर दी।
-ठंके
लोगो में ये ज़िन्दगी बदनाम कर दी,
अब ये आइना भी किस काम का मेरे,
मैंने तो अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर दी।
-ठंके
Last edited: 01-Jun-20 08:34 PM