[Show all top banners]

chanaa_tarkaari
Replies to this thread:

More by chanaa_tarkaari
What people are reading
Subscribers
Subscribers
[Total Subscribers 1]

desert_rain
:: Subscribe
Back to: Kurakani General Refresh page to view new replies
 नेपाल सम्बत हाइ हाइ .......

[Please view other pages to see the rest of the postings. Total posts: 66]
PAGE: <<  1 2 3 4 NEXT PAGE
[VIEWED 29488 TIMES]
SAVE! for ease of future access.
The postings in this thread span 4 pages, View Last 20 replies.
Posted on 10-24-08 12:21 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     3       ?     Liked by
 

नेपालको विशिष्ट मौलिक इतिहासको जगमा उभिएको नेपाल सम्बतलाइ राष्ट्रीय सम्बतको मान्यता दिनु पर्ने आव्हान गर्दै अभियान सञ्चालन गरेको पुग नपुग २७ बर्ष भए छ । शुरुवातमा नेपाल सम्बतको नाउँ लिने बित्तिकै सार्वजनिक अपराध गरेको आरोपमा जेलमा पुग्ने स्थिति पनि बन्यो । बदख्वाइँ गर्न चाहने जत्थाले नेपाल सम्बतलाइ साम्प्रदायिक सम्बत, कुनै एक जातिको मात्र सम्बत, किंवदन्तिमा आधारीत सम्बत जस्ता अनेक फत्तुर आरोप लगाए । तर त्यसता छुद्र आरोपहरुले नेपालसम्बतको गरीमा घटेन र यो अभियान पनि सेलाएन । समयक्रममा नेपाल सम्बतका प्रणेता शंखधर साख्वा:लाइ राष्ट्रीय विभुतिको मान्यता दिएर सरकारले नेपालसम्बत प्रति सम्मान जनायो । हालै  मन्त्रिपरिषदको बैठकबाट नेपाल सरकारले नेपाल सम्वतलाई राष्ट्रिय सम्वतको मान्यता दिएको छ। यसलाइ ब्यबहारमा लागू गर्न एउटा उच्चस्तरीय कार्यदल पनि गठन गरेको छ । यो निर्णय संभवत माओबादी नेतृत्त्वमा गठीत संयुक्त सरकारको अत्यन्त सकारात्मक र जनभावना मुखरीत गर्ने निर्णय हो । बिगत लामो समय देखि नेपाल सम्बतको पक्षमा आफुलाइ उभ्याउँदै आएको हुँदा म यो निर्णयको स्वागत गर्छु ।

 

नेपाल सम्बत हाइ हाइ ..........

 

र, नेपाल सम्बतको पक्षमा आफुलाइ उभ्याउने तथा यो अभियानमा साथ दिने सबैलाइ बधाइ तथा शुभकामना पनि दिन चाहन्छु ।


 
Posted on 10-30-08 7:29 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     3       ?     Liked by
 

sathi_mero भैया,

आपने उपर जो लिखा वह आपका धारणा था, लेकिन दुसरेबार तो आप बहुत हि m.o.t.h.e.r   f.u.c.k.e.r  कहेने लगा, हम भि वैसे हि लिखुँ क्या आपको, हिन्दी मे ? भारी पडेगा हाँ, केहेदिया है हमने, चेतावनी मत समझेगा, सुझाउ है  सुझाउ । ऐसा गन्दी शव्दोँका गुलछररे उडाने से आपको किसि का भि सापोर्ट नहिं मिलने वाला । सान भैया का चेतावनी भि देख लिजिएगा ।

अच्छा, हम हिन्दी मेँ क्यूँ लिखने लगा, इस बात शायद आप जानते नहिँ है । अगर कोइ हिन्दी मातृभाषि हमारा हिन्दी देखेँ तो शायद वह हमारा ढेढसारी गलतियाँ पकडेगा । हम तो शिखारु हिन्दि लिखते है । हमारा उधर एक थ्रेड है जिसमे हमने हिन्दी सीखनेको ऐलान किया । बस वहि कर रहा हुँ । उससे पहेले हम भि खस पर्वते भासा हि लिखते थे, जिसको आपने बहुत शान से नेपाली भाषा कहते है, लेकिन हमारा थरुइ भाषा भि गैर नेपाली तो नहिँ है ना !!! फिर भि आप इसको नेपाली भाषा नहिँ कहेते है । है ना ? तो जब हम ने हिन्दी मै लिखने लगा, आपको मेहशुस हुआ कि नेपाली और गैर नेपालीका फासला कितना ज्यादा है । आपको जितना गुस्सा आएगा उतना हि आप इस फासलाको करीव से महेशुस करेगा । नेपाली होने पर भि हमे गैर नेपालीका दर्जा जो मिलरहा था उस पर हम सन्तुष्ट नहि है ।

शायद आपको फिर भि हमारा बात समझ मे नहि आएगा । हम पुछते है कि नेपाली साहित्यमे जो पुरस्कार दियाजाता है उसमे से क्युँ खस पर्वते साहित्य और साहित्यकार हि पुरस्कार कि हकवाला होता है ? क्या मैथिलि, भोजपुरी, थरुइ, तमाङ का साहित्य नेपाली साहित्य नहिँ है ? अगर खस पर्वते साहित्य को हि पुरस्कार देना था तो क्युँ उसको नेपाली साहित्य कहेकर दियाजाता है, नेपालीका मतलव खस पर्वतेका इकलौता भाषा कैसे बन जाति है ? कौन बनाया ऐसा बदनियत चलन ? यह बातका जवाफ आजतक हमे किसि ने नहि दिया है ।

भारतके उदाहरण देखो, अगर वह भारती साहित्य बोले तो, उसमे हिन्दी मराठी तेलगु भोजपुरी सभि आता है, अगर हिन्दीओँ को अलग पुरस्कार देना है तो वह हिन्दी साहित्य हि बोलेगा, हिन्दी उधर राष्ट्रभाषा होनेपर भि भारती साहित्य मै हिन्दी साहित्यका इकलौता अधिकार नहि है । हिन्दी और भारतीका बीच स्पष्ट पहिचान है । क्या उसमै से सिखने कि कोइ बात नहिँ है ?

दुसरा, आपको क्या लगता है हम नेपाल सम्बतका सापोर्ट कर नहिँ सकता ? क्युँ ? क्या नेवार लोग हि कर सकता है ? हम क्युँ कर नहि सकता ? किस ने आपको कहा नेपाल सम्बतमेँ नेवार के इलावा दुसरे का हक नहिँ है । हम तो जो भि मामले मै नेपाल लगाता है उसमे अपना हक दिखेगा वह साहित्य, भाषा, कला, सस्कृति, सम्बत जो भि हो । कोइ तमाङ संस्कृति बोले तो वह तमाङ का है, थारुका नहि है, लेकिन कोइ नेपाली संस्कृति बोले तो वह हमारा भि है, हमारा हक है उसमे । इस बातको नोट किजिएगा । अगर किसीको हमारा हक दावि मै आपत्ति है तो, उसको नेपाली मत कहेना । बात खत्तम । आप दशेरा (दशै) और त्यौहार को नेपाली पर्व मानते है, हाँ हम भि उसको हमारा पर्व मानते है । आप देवकोटाका साहित्यको नेपाली साहित्य मानते है तो वह हमारा भि है और उसको थरुइ मे अनुवाद करना आपका जिम्मेदारी है, अगर आपको इसमे आपत्ति है तो उसे खस पर्वते साहित्य कहिएगा ।

तिसरा, आपने हमको थारु सम्बत लानेको कहा । हमारा जानकारीमे कोइ थारु सम्बत नहि है, अगर कोइ इतिहासकार ने थारु सम्बतके बारेमे बतादेगा तो हम उसपर जरुर अध्ययन करेगा । लेकिन हमारा कूल मे भि अमावस्या और पूर्ण चन्द्रका विशेष महत्त्व है । हमारा उस मान्यता के आधारमे चलनेवाला एक कालेण्डर है और वह नेपाल सम्बतके मुताविक है, यह बात हमे बाद मै मालुम पडा । हमारा मानना है कि भगवान वुद्ध हमारा पुर्वज है और एक थारु है, लेकिन बहुत लोग उन्हे शाक्य कूलका मानता है जो हाल मै नेवार लोग है । यह वातके पुरे जानकारी हमारा पास नहि है । अगर नेपाली लोग भगवान बुद्धको थारु माननेको तैयार होगा तो हम बुद्ध सम्वतके वकालत करने को तैयार है । लेकिन हाल तक जितना हम जानते है हमारा फर्स्ट च्वाइस तो नेपाल सम्बत हि है ।

अगर आप वर्ल्ड और फ्यूचर टेक्नोलाजि मै इन्ट्रेस्ट है तो यह कालेण्डार के विवाद मे क्यूँ पैर डाल्ने का ? वैसे भि हमे मालुम पडगया कि आप तो इस मै कोइ जानकारी हि नहि रखते है । आप तो बस एक वाइसियल कि तरह व्रेनवाश्ड है और तालेवान कि तरह विक्रम सम्बतका समर्थन नहिकरनेवाले लोगका विरुध फतवा जारी करनेको भि राजि है । लेकिन इतिहास वर्तमान और भविष्यका अध्ययन करनेवाले लोग यह सम्वतका विवाद मै बहुतकुछ डुवता है । वह वाइसियलकि तरह नहि होता है ।  नहि तो उपर हमने लिखा जो विद्वान इतिहासकार लोगों ने वरसौँतक इस मुद्देमे क्यूँ अनुसन्धान किया होगा । बात इहाँ है ।

चोर भैया,

लगता है आपका गुस्सा ठण्डा हो गया । हमारा मानना है कि, संसार मेँ अधिक उपयोग होनेवाले किसि भि भासा मै दख्खलवाजि करने से कोइ नुकसान नहि है । जैसे कि आप अँङ्ग्रेजि मै जानकार है, चिनिया मै जानकार होँगे तो बढीया होगा, आप अमेरीका मै है तो स्पानिस सिखिएगा बढीया होगा, यूरोप मेँ जर्मनी, फ्रेन्च सिखने का भि फायदा हि है । पुर्व जाना है तो जापानी सिखियगा, दक्षिण जाना है तो हिन्दी सिखिएगा । नेपाली लोगो ने नेपालके अन्दर हि हिन्दीके लिए जोर जोर से लविङ कर रहा है । हम उन लोगोको नेपाली नहि मानते है, क्यूँ कि आधि करोड भारतीय लोग जिसने माओबादी, काँग्रेस एमाले फोरम के मिलेमतो मै नेपाल कि नागरीकता हासिल किया, वह नेपाली नहि था । फिर भि नेपाल सरकार और आप लोग तो उनको नेपाली हि मानबैठा है । हिन्दि को समर्थन विरोध कर्नेवाले लोग करते रहेगे, लेकिन आप हिन्दी नेपालमे प्रचार और उपयोगि हो हि नहि सकता - इस बातको ग्यारेण्टी कर सकते है ? नहि ना ?? तो हमने थोडा हिन्दी प्राक्टीस कर लिया, इसमे कौन सा पहाड गिरा रे ? कल हिन्दी हमारा देश मै ज्यादा लोग बोलेगा, देखो, अभि भि यह नम्बर दो बन चुका है, और बहुत हि जल्दी नम्बर १ हो जायेगा यह मेरा अनुमान है । हम ने नेपाली सिखने मै ढीलाइ किया और उसके मार हमको अभि तक पड रहा है, कल हिन्दी मे कमजोर हो कर दुसरे बार हमे क्युँ मारे खाने का ?  क्या आपके पास जवाब है ? आज लोकसेवा मै नेपाली चल्ता है, कल हिन्दी चलेगा, जब देशका सारा नेता लोग भारतीय दूतके इशारा पे काम करता है तो हम तो बहुत कमजोर साधारण लोग क्या खाक कर सकता है ? अगर आपको इस विषयमै हमारा विचार डिटेल जानना है तो पुराने थ्रेड पढलिजियगा ।


 
Posted on 10-30-08 8:14 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     1       ?     Liked by
 

नेपाल सम्बतलाइ मन नपराउनेहरुमध्ये धेरैमा समान भावना के पाइयो भने यो सम्बतले मान्यता पाउँदा नेवारहरु मात्रै खुशी भए । नेवारको सम्बतलाइ अरुले किन मान्नु पर्ने इत्यादि । हुन त मैले माथि पनि लेखे, नेपाल सम्बतलाइ मान्यता दिन नचाहनेहरुले शुरुवात देखि नै नेपाल सम्बतलाइ नेवारको सम्बत भनाउन चाहेको हो । जस्तो कि कान्तिपुरको न्यूजमा माथि हेर्नोस, त्यहाँ लेखेको कतिपय कुराहरु गलत चिन्तनबाट प्रेरित छ । जस्तो कि

(१) the Nepal Samwat, also known as Saka Samwat, यो गलत छ, शक सम्बत र नेपाल सम्बत फरक पृष्ठभुमिबाट विकास भएका हुन। ती एकार्काका पर्यायवाचि होइनन, तर यो समाचारले ठाडै  also known as पो भन्दियो बा!!!!

(२) त्यस्तै यसमा लेखिएको छ - People of the Newar community took out rally to mark the beginning of the Nepal Samwat New Year today. Welcome gates have been erected at several chowks in three districts of the capital valley and Kavre district hailing the governments move to announce Nepal Samwat as Rastriya Samwat. जब कि यसरी नेपाल सम्बतको नयाँ वर्ष मनाउन थालेको झण्डै ३० वर्ष भैसक्यो, तर यो समाचारले आजै मात्र यसरी मनाएको भन्ने सन्देश दिन खोजेको छ ।

(३) यस्तै : the pay back of all the debts of people living in Kathmandu, then known as "Ya." भनेर काठमाण्डुमा मात्र यसलाइ सिमित छ भन्ने देखाउन खोजेको छ, जव कि यो किम्बदन्तिले कुनै भौगोलिक सिमाना नतोकि कन सम्पूर्ण नेपालबासिको ऋण चुक्ता गरेको कुरा बताएको छ , तत्कालिन अवस्थामा नेपालबासि भन्नाले वर्तमानको नेपाल मण्डल याने कि काठमाण्डौ भक्तपुर ललितपुर, धादिङ मकवानपुर काभ्रे, सिन्धुपाल्चोक, दोलखा लगायतका ८ जिल्लामा फैलिएको तान्त्रिक अष्टमात्रिका गणले घेरीएको क्षेत्र जनाउँछ । सहि जानकारीको अभावमा यसरी ब्यापक क्षेत्र ओगटेर बढेको अभियानलाइ वर्तमानको काठमाडौ र त्यो पनि रैथाने वासिन्दाहरु वसोवास गर्ने येँ देय् मा मात्र सिमित छ है भन्ने अर्थ दिने दुष्प्रयास गरीएको छ ।

(४) Nepal Samwat, one among few of the native calendars to Nepal, has its own special relevance for Newar community, the major constituents of the Kathmandu valley. यो वाक्य वदनियतपूर्ण तथा खोटपूर्ण छ । झण्डै ९ शताव्दी सम्म नेपालको राष्ट्रीय सम्वतको पहिचान बनाएर हजारौ शिलालेख ताम्रपत्र भोजपत्र तथा राष्ट्रीय अन्तर्राष्टीय सन्धिसम्झौताहरुमा समेत उल्लेख्य उपयोग भै नेपाललाइ संयुक्त राष्ट संघको सदस्यता दिलाउन समेत महत्त्वपूर्ण सम्पदाको रुपमा पेश गरीएको नेपाल सम्बतलाइ यो माथिको वाक्यले नेवार जातिमा मात्रै संकुचित बनाउने दुष्प्रयास गरेको छ । यस्तो कदम घोर पितपत्रकारीता हो, घृणित षडयन्त्र हो । यो सम्बतको special relevance नेपाललाइ स्वतन्त्र र गौरवशाली इतिहास भएको देश मान्ने सबै वर्ग जात हरुसित हुनु पर्ने हो, किन नेवार समुदाय सित मात्रै ?

(५) the calendar was widely used by Newars for cultural and religious purpose inside the Kathmandu because of its relation with festivals Jatra that are celebrated in the Valley. यो वाक्य पनि वदनियतपूर्ण तथा खोटपूर्ण छ । नेपालको सवै जातजातिका झण्डै ९९% चाडपर्व यसै सम्बत मुताविकको समयचक्रमा निर्धारीत छ । छठ होस वा फागु, ल्होसार होस वा दशै तिहार, तीज होस वा भाइटिका, सबै यहि क्यालेण्डर मुताविक छ भने किन नेवारको जात्रा र काठमाडौको पर्व मात्रै विशेष उल्लेख गरेको ? हालै चितवनमा लाखे महोत्सव भयो, जहाँ देशभरीका लाखेहरु पुगे त्यो उपत्यकाको मात्रै भयो ? ती सबै यहि क्यालेण्डे मुताविक त छ नि । के यस्तो सफेद झूठको खेति कान्तिपुर जस्तो पत्रिकाले गर्न पाउँछ ?

(६) This calendar, Nepal Samwat, is being revived, especially in the Kathmandu Valley, over the last three decades - यो पनि अर्धसत्य हो । काठमाण्डौबाट नेपाल सम्बतको जागरण अभियान जोडतोडले अघि बढेको निश्चितै हो तर हरेक वर्ष पोखरा, बागलुङ, बन्दिपुर, इलाम, धरान, हेटौडा, भेरहवा, सुर्खेत, जनकपुर, विरगञ्ज, धनकुटा जस्ता धेरै नेपाल भित्रका ठाउँहरु मात्र होइन गान्तोक, कालिङपोङ, लण्डन, वाशिङटन डिसि, शिकागो, सियाटल, टोक्यो, फ्राङकफर्ट, भान्कुभर, टोरण्टो लगायतका थुप्रै नेपालीहरु जमघट हुने बिदेशी शहरहरुमा समेत यो अभियान सशक्त ढंगले बढेको थियो । यस्ता कुराहरु लुकाउने दुर्नियत राखेर यो समाचार दिएको हुनाले कान्तिपुर स्पष्ट रुपमा पुर्वाग्रहि देखिएको छ ।

यउटा न्यूज चिरफार गर्दा यति धेरै कुरा निस्किन्छ, यहाँ माथि ब्यक्त अब्यक्त गलत मान्यताहरुको चिरफार गर्दा समय निकै लाग्छ, सकेसम्म म प्रयास त गर्ने छु, तर समयको पावन्दि छ । मित्रहरु, समर्थन र बिरोध गर्नु अगाडि यसबारेमा तथ्यहरु खोजेर जानकारी हासिल गर्ने प्रयास गर्नुहोला ।


 
Posted on 10-31-08 12:27 AM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     1       ?     Liked by
 

I don't trust Kantipur either. We deserve some impartial news that will enhance our knowledge not that will confuse us.  Kantipur doesn't serve Nepali people, it serves some special interest.

Indian Embassy, Nepali Congress and kathputali netas, Madhesi Forums.  We deserve more.

 
Posted on 10-31-08 2:12 AM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     2       ?     Liked by
 

बीक्रम सम्वत कसरी हाम्रो होइन ? एउटा मान्छे वीदेश मा गएर दस बर्ष बस्यो भने त्यो देश को नागरीक् हुन्छ  झन बीक्रम सम्वत त हामीले २००० बर्ष देखी मनाउदै आएका छौ । अहीले यो आफ्नु होइन अर्काको हो भन्दा खेरी लाज लग्नु पर्ने ।
तिमीहरु सपै अमेरिका म बस्छौ । भोली अमेरिकन'स ले जा तिमीहरु हाम्रा देश का नागरीक् होइन भन्यो भने k गर्छौ ।
Last edited: 31-Oct-08 02:14 AM

 
Posted on 10-31-08 11:48 AM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     2       ?     Liked by
 

अगर तेरेको लगता कि बिदेश से आकर नेपालमै १०० वरस रहेने से विक्रम सम्बत नेपालकि होता है मगर, नेपाल मै हि स्थापना हो कर हजारोँसालसे नेपालका इतिहासकि अभिलेख रखने वाला और नेपाल देशके नामसे बुलाने वाला, नेपालको UN मै membership दिलाने वाला नेपाल सम्बतको तुझे F*** Nepal sambat. बोलने को मन करता है ?

इतिहासमै स्पष्ट है, चन्द्र शमशेर ने ईण्डिया से विक्रम सम्बत और उसका जानकारी रखनेवाला कुछ बाहुनलोगको नेपाल बुलाया । तु उन्हि बाहुनका सन्तान है क्या ? इधर नेपालमे १९६० से चलनमे लायाहुआ विक्रम सम्वत भारतके उत्तर और मध्य प्रदेशकि आसपास हि २००० सालोँ से मानाजाता था । लेकिन अव तो वह भि नहि है । नेपाल मै अगर इसको २००० साल से मानाजाता होगा तो क्यूँ दशेरा त्यौहार, शिवरात्री, छठ और बाँकि सभि पवित्र क्रियाकर्म मे विक्रम सम्वतको ठुकरा दिया ? 

कित नि तारीफ करुँ तेरे गोबर बुद्धिकि ? disgusting no_quiero. तेरे पास क्या चीज अपना है, क्या चीज अपना नहि  है, यह समझने कि दिमाख हि नहि है । 

शायद तुझे मालुम नहिँ है, भारतमे कोइ कोइ विशाखा मै नइ वर्ष मानते है, इनलोगोँको उधर झाट हिन्दु कहेता है ।  झाट हिन्दुका सम्वन्ध झायक ब्राम्हणसे होता है, यह इतिहासकि बात हुई ।  जिसका सन्तानदरसन्तानको हम झा-ब्राम्हण मानते है जो विशाखा, माघि जैसा पर्वको विशेष मानता है । नेपालका आम पहाडि ब्राम्हणलोग झा-ब्राम्हण से अलग है, इसिलिय उनका पवित्र कर्मौमै विक्रम सम्वत जुडा नहि है । फिर भि क्युँ नेपालका पहाडि ब्राम्हणको विक्रम सम्वत प्यारा है ? कहेदिया ने हम ने तु तो वाइसियलका तरह है, क्या ठीक क्या वेठीक तेरा समझसे बाहर है, तु तो ब्रेनवाश्ड है, बस पण्डा ने जो बोला, वहि सहि ।


 
Posted on 10-31-08 4:10 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

jasle je bhanos malai ta TIKA jee ko logig lai yekdam support garchu, TIKA ko hareko kura maa logical proof cha so TIKA jee keep going man, I like your reply. Thank you
 
Posted on 10-31-08 6:05 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

Tika hey, yo no podía entender su correo, por favor u puede traducirlo ...
 
Posted on 11-01-08 10:17 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

Hey Sathi_mero, No creo que usted no entiende hindi, de otro modo no me comentario. Buen intento.

हमारा ये दोस्त कुछ प्राइभेट बात कर रहा था,


 
Posted on 11-01-08 10:44 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

ha ha ha... me haces reír amigo .... Yo también hablan español, y espero no necesidad de traducir en línea de algunos programas como lo hizo .. Realmente me encanta leer tus post .. Por favor, ¿puedes traducir en Inglés, español o nepalí .. i realmente difícil sentir la lectura de los guiones que escribió ... He intentado traducir con muchos softwares de traducción, pero no pudo averiguar exactamente lo que significa ...
 
Posted on 11-02-08 6:20 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

चना दाई, (अब राहुलदाइको पनि दाई भने पछी मेरो पनि दाई)

मैले आफ्नो लेखाइको सुरुवात म जातभात मान्दिन भन्ने कुरो उठाएर गरेको थिए तर कुरो कस्तो उल्टो भयो भने मैले नेपाल सम्बतलाई सिधै जातसँग लगेर जोड्न खोजिएको जस्तो बुझियो जुन मेरो लेखाइको आशय होइन। मेरो लेखाइमै केही त्रुटी भएर हो कि? हुनत आफ्नो जातिय पहिचान सबैलाई प्यारो हुन्छ र हुन पनि पर्छ, आफ्नो परिवार, आफ्नो समाज, आफ्नो भाषा र त्यो भन्दा अझ माथि गएर आफ्नो देशप्रतिको लगाव, यो सब चाहिन्छ। एउटा नेवारले म नेवार हुँ भनेर, एउटा बाहुनले म बाहुन हुँ भनेर र एउटा मगरले म मगर हुँ भनेर भन्न पाउनु पर्छ। हामीलाई नचाहिएको कुरा भनेको जतियतामाथीको बिभेद मात्र हो। नत्र भने त हामीसबैले हामी नेपाली भनेर आफ्नो जातिय पहिचान कसरी बनाउन सक्छौ? चना दाईले यो थ्रेड सुरु गरेपछी धेरै साथीहरुको धेरै थरी बिचारहरु ब्यक्त भईरहेका छन्। कती बिचारहरु विश्लेशणपूर्ण पनि छन् भने कती चाँही आबेसपूर्ण छन्। चना दाईले भने जस्तै सम्बत समयकै मापो हो, तर अहिले नेपाल सम्बतको अवस्था भनेको पूर्ण रुपमा अथवा दैनिक समयको मापन गर्ने भन्दा हाम्रो चाडपर्ब र साँस्कृतिसँग बढी सम्बन्धित भईरहेको नै हो। त्यसकारण अहिलेनै यसलाई साँस्कृतिसँग अलग गरिदिने हो भने यस्को अस्तित्वनै खतरामा पर्न सक्छ। साथै म दाईको नेपालमा रहेको सबै चाडपर्ब यही सम्बतमा आधारीत छन् भन्ने कुरामा असहमत छु, हाम्रा सबै चाडपर्ब lunisolar क्यालेन्डरमा आधारित छन् र यो सम्बत पनि lunisolar क्यालेन्डरकै एउटा रुप हो। हाम्रा कतिपय चाडपर्बको प्रचलन यो सम्बत सुरु हुनु भन्दा धेरै अघिदेखी नै थियो।
 
मैले नेताहरुलाई त्यतिक्कै गाली गरेको छैन चना दाजु, वास्तवमा तिनिहरुले हामीलाई मुर्खै बनाउछन्। कुनै सोचबिचर कुनै योजना बिना नै भनी दिन्छन ल अब यो गर्ने, त्यो गर्ने। गिरिजा बाबुले भन्दिए ल अब नेपाल सम्बत्लाई सरकारी कामकाजमा प्रयोग गर्ने, तर कसरी गर्ने? के गर्ने? केही थाहा छैन, खाली प्रयोग गर्ने; अहिले फेरी हाम्रा माओवादी सरकारले भन्दियो यसलाई कामकाजमा ल्याउने। हाम्रो नेताहरुलाई कुनै कुरा सार्वजनिक रुपमा बोल्नु भन्दा अगाडि त्यस्को बारेमा गम्भिर सोच, खोज र बिचार  गर्नु जरुरी लाग्दैन। किनभने उनिहरु आफुले बोलेको कुरामा कहिले पनि जवाफदेही हुन पर्दैन, बोल्नको लागि पैसा पर्दैन जे बोल्दिए पनि हुन्छ। खासमा हामीसँग कुनै कुराको योजना हुँदैन, मुखले भन्यो त्यती भए पुग्यो। चना दाई हजुरले नेपाल सम्बतलाई सरकारले राष्ट्रिय सम्बत बनाएको र यसलाई कामकाजको लागि प्रयोगमा ल्याउने घोषणा गरेकोमा खुसी मनाउन मलाई यो कसरी व्यबहारमा लागु गरिन्छ भन्ने स्पष्टिकरण दीइरहनु पर्दैन र यस आन्दोलनमा लग्ने धेरैको एउटा प्रयास सफल भएकोमा खुशी मनाउन कसैले पनि रोक्न सक्दैन, तर यो घोषणा गर्ने सरकारले भने अबस्य पनि यस्को स्पस्टिकरण दिनु पर्छ। ठीक छ एकक्षणलाई यो सर्बसाधारणको चासोको बिषय नहुन सक्छ, तर यो घोषणा गर्नु भन्दा अगाडि यस्लाई व्याबहारिक रुपमै लागु गर्न के कस्तो सुधार गर्नु पर्छ या अहिले चली रहेको बिक्रम सम्बतलाई कसरी बिस्थापित गर्ने भन्ने बिषयमा सरकारले कतिजना बिशेषज्ञहरुसँग परामर्स गर्‍यो र नगरेको भए कहिले गराउछ? खाली जुलुस र र्‍यली गर्दैमा नेपाल सम्बत लागु हुँदैन। यस्को लागि गम्भिर गृहकार्य आबश्यक छ। के नेपाल सम्बतको प्रयोग राहुलदाईले भन्नु भए जस्तै व्याबहारिक रुपमै सम्भब छ त? होइन यसमा सुधार गर्नु पर्छ भने के कस्तो सुधार गर्नु पर्ने हो? यि सबै कुराहरुमा काम गर्नु पर्ने हुन्छ, खाली मुखले बोलेर केही हुनेवाला छैन।
 
नेपाल सम्बतलाई ब्यबहारिक रुपमा प्रयोग गर्न मुलत: दुइ वटा समस्या छन। पहिलो यो lunisolar क्यालेन्डर मा आधारीत छ। lunisolar क्यालेन्डरको हरेक बर्ष solar क्यालेन्डरको बर्ष भन्दा ११ दिनले कम हुन्छ र यो कमिलाई प्रत्येक साँढे दुई बर्षमा अधिक मास वा क्षय मासको ब्यबस्थाद्वारा समायोजन गरिन्छ। तर यस्तो असमान दिन सङ्ख्या भएको क्यालेन्डर समयको मापोको लागिनै प्रयोग गर्नु वास्तवमै अबैज्ञानीक हुन्छ। अब यो समस्यालाई कसरी सलटाउने भन्ने कुरा सरकारका निर्णयकर्ताहरु र जानिफकारहरुले सुझाउनु पर्छ। हुनत चना दाईको चेतावनी छ, राम्रोसँग नबुझी नलेख्न, तर पनि मेरो सानो दिमागले बुझेको सानो कुरा यदी नेपाल सम्बतलाई single cycle क्यालेन्डर बाट double cycle क्यालेन्डर बनाउन सकियो भने शायद यो समस्याको समाधान हुन्छ कि? double cycle बनायो भने तिथी, चाड पर्ब सब lunisolar क्यालेन्डर को हिसाबले गनणा हुन्छ भने बर्षको हिसाब चाँही solar क्यालेन्डरबाट हुन्छ। शायद यसो गरियो भने यो ISO क्यालेन्डरसँग compatible हुन्छ होला। अर्को जटिल्ता भनेको बिक्रम सम्बत, इस्वी सम्बत र नेपाल सम्बत बिचको रुपान्तरन नै हो। झट्ट हेर्दा यो समस्या कुनै ठुलो समस्या होइन जस्तो लाग्छ तर यस्ले धेरैको नागरिकता, पासपोर्ट र प्रमाणपत्रहरुमा समस्या ल्याउने निश्चित छ। त्यसकारण नेपाल सरकारले यो सम्बत लागु गर्नु भन्दा पहिले यो रुपान्तरनको समस्या हटाउन जनशक्ती र साधनको ब्यबस्था गर्नु पर्ने आबस्यक छ। मैले भन्न खोजेको यदी नेपाल सम्बत लागु गर्न यती धेरै समस्या आउछ भने हामीले  संसारमै चलेको ISO क्यालेन्डर नै किन प्रयोग नगरने? 
       
नेपाल सम्बतको जगेर्ना गर्ने काममा निश्चित रुपमानै नेवार समुदायको भूमिका बढी देखिएको छ। तर यसो भन्दैमा नेपाल सम्बत नेवारहरुको मात्रै हो भन्नु भनेको नेपाली भाषालाई बाहुन क्षत्रिको भाषा भन्नु जस्तै हो, तेस्तै गरी नेपाल सम्बत राजाले लागु गरेकी प्रजाले भन्ने कुराले पनि खासै ठुलो फरक पार्दैन। नेपाल सम्बतको प्रचलन नेपालमै सुरु भएको हो र यस्लाई एउटा नेपालीले नै प्रयोगमा ल्याएका हुन जस्लाई हामीले राष्ट्रिय बिभूतिको रुपमा मान्छौ। यदी नेपाल सम्बतलाई व्याबहारिकरुपमै प्रयोग गर्न सकिन्छ भने हामीले बिक्रम सम्बतलाई नै बोकेर बस्नु पर्छ भन्ने केही छैन र यदी यो व्याबहारिक रुपमा सफल हुन सक्दैन भने यस्लाई जबर्दस्ती लागु गर्नु पर्ने आबस्यक्ता पनि केही छैन। Directx जि, हाम्रो सौर्यमण्डलमा भएका सारा ग्रह उपग्रह देखी आकाशगंगामा भएका तारामण्डल हाम्रो लागि उत्तिकै महत्वपूर्ण छन। यस्मा यो ठुलो र सानो भन्ने हुन्न। lunisolar क्यालेन्डर जस्तै solar क्यालेन्डर पनि उत्तिकै महत्वपूर्ण छ भन्ने कुरा म पनि मान्छु। सुर्य सिद्दान्तमा दियीएका बिधीहरुमा अहिले हामीले प्रयोग गर्ने त्रिकोणमितीय ज्यामितिको आधारहरु छन र यस्लाई साह्रैनै प्रभाबशाली सिद्दान्तको रुपमा मानिन्छ। 
 
तिका जि, म हिन्दी भाषाको जनिफकार त होइन तर हिन्दी भाषा पनि सम्पूर्ण भारतभरि रहेका मानिसहरुको मात्री भाषा हो जस्तो लाग्दैन। यो भाषा पनि उत्तर प्रदेश, दिल्ली र आसपासमा बस्ने बसिन्दाहरुले उर्दुबाट पारीमर्जित गरी प्रयोगमा ल्याएको जस्तो लाग्छ र अर्को कुरा कुनै जमनामा भारतलाई हिन्दूस्थान पनि भन्ने गरिन्थ्यो र यो भाषाको नामाकरण धेरै हद सम्म हिन्द शब्दसँग सम्बन्धित छ जस्तो लाग्छ। नेपालमा बोलिने सबै जातजातीको भाषा गैरनेपाली होइन । तर नेपाली भाषा भनेर बुझ्दा अहिले चलिरहेको नेपाली भाषालाईनै बुझिन्छ र तपाईंले माध्यम भाषाको रुपमा सबै भाषाहरुलाई प्रयोग गर्न पनि सक्नुहुन्न। माध्यम भाषा एउटै हुनु पर्छ। तर अरु भाषाहरुलाई पनि फस्टाउन मद्घत गर्ने, चलनचल्तिमा ल्याउने र जगेर्ना गर्ने काम गर्न पहलकदमी  सरकारले लिनु पर्छ। नेपाली भाषालाई माध्यम भाषाको रुपमा प्रयोग गर्न धेरै नेपालीहरुलाई आपत्ति हुन्छ भने बरु अङ्रेजी नै गरौ न। किन यो हिन्दिलाई हाम्रो माध्यम भाषाको रुपमा प्रयोग गर्नु पर्ने? नेपाली भाषा बोल्नेहरुसँग रिस फेर्न हिन्दी बोल्नु भनेको सौताको रिसले पोइको काखमा मुत्नु भनेको जस्तै हो।


 
Posted on 11-02-08 9:47 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

geology_tiger mitra, maile bro ko kura aadi bujhe aadi bujhina, bujhnu ma pani philosophy hunchha, kher ma astrology tira tyati bichar rakhne byakti parina, tara sauta ko risa le logne ko kakh ma mutnu bhaneko chahi dammi lagyo....
 
Posted on 11-02-08 11:17 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

 

Last edited: 02-Nov-08 11:21 PM

 
Posted on 11-03-08 4:48 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     2       ?     Liked by
 

Geology Tiger भैया,

हम इस थ्रेड मै भाषा के मामिला मै तर्क वितर्क करनेको मन नहिँ है ।   हमारा हिन्दि मै लिखने से आपको कोइ आपत्ति है तो वह आपका प्रब्लाम है । माफ किजिएगा । लेकिन, हम ने हिन्दि को माध्यम भाषा बनाना चाहिए, यह कभि नहिँ कहा है । नेपाल मै हिन्दि माध्यम भाषा कभि भि होना नहि चाहिए । लेकिन आप देखते जाइए, हमारा दुतावासके आशिर्वादसे बडे नेता बनगया लोग जो हे वह हिन्दिको नेपालमे माध्यम भाषा बनाकर हि छोडेगा । हमारा लिए हिन्दि जितना पराया है खस भाषा भि उतना हि पराया है ।

 

खस भाषा नेपाली भाषा है लेकिन नेपाली भाषा खस भाषा नहि है । आप स्पष्ट कहिएगा कि आप नेपाली भाषाको माध्यम भाषा कहेना चाहते हो या खस भाषा को ? अगर आप खस भाषा को माध्यम भाष कहेना चाहते है तो, चलो वह भि ठीक है, हम सापोर्ट कर देँगे । लेकिन खस भाषाको जवरजस्त नेपाली भाषा क्युँ कहेना चाहँगे आप ? देखो आप लिखते है - नेपाली भाषा भनेर बुझ्दा अहिले चलिरहेको नेपाली भाषा लाईनै बुझिन्छ - यह गलत है । नेपालमे राणा, शाह, पञ्चायत और बाहुनबादका ओकालत करनेवाले लोग ने मिलकर खस भाषाको नेपाली भाषा  बोलदिया, लेकिन आप जैसे आदमि भि इसको अहिले चलिरहेको नेपाली भाषा क्युँ कहेते है ? क्या हम हमारा थरुहट प्रदेशमै हमारा थरुइ भाषाको भि अहिले चलिरहेको नेपाली भाषा  कहेसकते है ? यह यूग राणा, शाह, पञ्चायत और बाहुनबाद ने किया गलतियोँको परित्याग करने कि यूग है । चलो खस भाषा को खस भाषा बोलो और सम्पूर्ण नेपाली भाषाको नेपाली भाषा बोलो । नेपाली भाषा मै खसका एकाधिकारको तोडो ।


 
Posted on 11-03-08 5:48 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

TIKA, Nepali language = Khas language, everywhere you go in the world, it is known as nepali language and people use this as nepali language,

Why are you bent on going back to kill the history that has been there for a few hundreds of year's.. are we going back as far as when people used to speak in sign language than, or are we going to give up motorcars and education and become cavemen..

Dude I can argue with you forever, if this is what you want.. but let's start another thread and leave NEWARS alone, The majority rules everywhere and anywhere...

Dude, are you trying to unify the country or trying to break the country..
You go ahead and try to break it.. Trust me... YOUR MOTHER INDIA WILL FEEL LIKE SHE SWALLOWED SOME HOT COAL THROUGH HER THROAT,
Unless that is the whole Idea to Break FUCXKING INDIA into Pieces too...

I will Guarantee you that Personally....

NEPAL IS NOT SIKKIM, that you can come and take it in a day.. You can make us like beggars, you can keep us Hungry but DHOTI BHAI, you can never kill our pride...

We will be worse than what Pakistan is with India....

 
Posted on 11-04-08 10:40 AM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     1       ?     Liked by
 

चोर भैया,
बाहुनबाद ने नेपाली भाषा = खस भाषा बनानेको बहूत कोशीस किया, लेकिन सफल नहि हुआ है । अगर सफल होगा होता तो यह सवाल कोइ भि नहिँ पुछपाएगा । क्यूँ नेपाली भाषा = खस भाषा होता है ? क्युँ नेपाली भाषा = थारु भाषा हो नहि सकता है ? क्युँ नेपाली भाषा = तमाङ भाषा हो नहि सकता है ? क्युँ नेपाली भाषा = गुरुङ भाषा हो नहि सकता है ? क्युँ नेपाली भाषा = मगर भाषा हो नहि सकता है ? क्युँ नेपाली भाषा = लिम्बु भाषा हो नहि सकता है ? क्युँ नेपाली भाषा = नेवार भाषा हो नहि सकता है ? क्युँ नेपाली भाषा = भोजपुरी भाषा हो नहि सकता है ? क्युँ नेपाली भाषा = मैथिल भाषा हो नहि सकता है ?

आपको लगता है कि सारा संसार नेपाली भाषा = खस भाषा मानता है, लेकिन वह आपका गलतफहमी है । वास्तवमै सारा संसार पुछ रहे है कि क्युँ नेपाली भाषा ने नेपाल के सभि भाषाओँको सहभागि होने नहि देता हे । नेपालके अन्तर्राष्ट्र पहिचान बनानेवाला नेपाल सम्बत क्यूँ नेपालमे प्रयोग नहि किया जाता है ? ऐसा बहुत सारे उत्सुकताएँ है, जो सारा संसार जवाब चाहते है ।

आपको शायद मालुम नहि है, लेकिन मै बता दुँ आपको - खस भाषाको नेपाली भाषा कहेने से पहेले गोर्खाभाषा था उसका नाम । क्युँ कि वह समय गोर्खा एक बलवान राज्य बनचुका था । खस लोगोँ ने उसिके फायदा उठाकर खस भाषाको गोर्खा भाषा बनादिया । आप दार्जिलिङसे देहरादुन तक जो भि खस भाषा बोलाजाता है, वहाँ नेपाली भाषा नहि गोर्खा भाषा मानाजाता है । धरणिधर कोइराला और पारीजातको आप नेपाली साहित्यकार मानते है, उधर वह गोर्खाली साहित्यकार बनबैठा है । वहिँ से प्रभावित होकर खसभाषाको पहेला पत्रिका कि नाम हि गोर्खापत्र रखदिया, बाद मै उसमे संशोधन करके गोरखापत्र बनादिया ।

गोर्खा राज्य शक्तिशाली होने से पहेले पर्वत राज्य शक्तिशाली था । उस समय खस भाषाको पर्वते भाषा का नाम दिया गया । जब पर्वत कमजोर होने लगा और गोर्खा शक्तिशाली बनगया उन्होने पर्वते भाषासे नाम चेञ्ज कर्के गोर्खा भाषा बनादिया । काठमाण्डु विजय करने के बाद शाह राजाओं गोरखाको परित्याग करके देशका नाम हि नेपाल रखदिया । वह वास्तवमे अजीवसा निर्णय था । इसका वरोवर ऐसा होगा कि अम्रिका ने इराक पर विजय पानेके बाद अम्रिकाका नाम हि इराक रखना जैसा । पृथ्विनारायणको शायद नेपाल सभ्यता और गरीमा के वरोवर गोरखा कि गरीमा ना होने से लघुताभाष था । बादमेँ भि खस भाषाको नेपालमे गोर्खा भाषा हि मानाजाता था । मदनपुरस्कार पुस्तकालय जाकर अध्ययन किजिए आपको मालुम पडजायेगा । लेकिन १९९० के दशक के बाद खस भाषाको धिरे धिरे से नेपाली भाषा कहेना शुरु होगया । पञ्चायत काल मै महेन्द्र राजा ने खसभाषा के विकास के लिए बहुत सहयोग किया । खस साहित्यकार लक्ष्मिप्रसाद, लेखनाथ आचार्य, बालकृष्ण सम जैसा लोगोंका बडेबडे पुरस्कार देना, और महाकवि, कविशिरोमणि जैसा विभिन्न पदसे सम्मान कर्ना और रेडियो और पत्रिकामेँ ब्यापक प्रचार कर्ना यह सव एकसाथ करदिया गया । पञ्चायत ने हि खस भाषाकि पहिचान नेपाली भाषा बनाया और पञ्चायति शिक्षाके माध्यमसे ढेरसारे जनताओकि दिमागसे खस शव्द हि मिटानेका कोशीस कियागया । मतलव यह है कि नाम परिवर्तनका सिलसिला ऐसा रहा
खस भाषा = पर्वते भाषा - जव पर्वतका शक्ति हावि था ।
खस भाषा = गोर्खा भाषा - जव गोर्खाका शक्ति हाविथा ।
खस भाषा = नेपाली भाषा - जव नेपालका शक्ति हावि था ।

भाषाओका नाम वारवार परिवर्तन हो नहि सकता, लेकिन शक्ति और प्रभावकि पिछे भागते भागते ऐसा करके खस भाषा ने वेश्या के चरीत्र दिखाया है । इतिहास मै हमारा थरुहट राज्य था, बाद मे नहि रहा, उधर मिथिलाञ्चल था, वह भि नहि रहा, अवधका साम्राज्य था, वह भि नहि रहा, हमारा इलाका मै इतिहासमै राज्य और सिमाना परिवर्तन बहुत बार हुआ है, लेकिन हमारा भाषाका नाम परिवर्तन कभि नहि हुआ है ।

मुझे तो लगता है, अगर नेपालका सिमाना कुछ भि तरह से भारतके अन्दर जायेगा तो यह खस भाषा के नाम फिर से परिवर्तन होकर भारती भाषा हो जायेगा । अर्थात
खस भाषा = भारती भाषा - जव भारतका शक्ति हावि होगा ।

अगर आप यह होने से रोकना चाहेँगे तो आपके पास बहुत सारी जिम्मेदारियाँ है । उसमै से पहेला जिम्मेदारी यहि है कि आप खस भाषा को खस भाषा हि बोलिए, जबर्जस्ति खस भाषा = नेपाली भाषा मत कहिएगा ।


 
Posted on 11-04-08 11:16 AM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

Wah ! Wah ! khoob TIKA bro, I really like your defence and I am convinced with your logic and you have a great knowledge of history too. I agreed with you. Jabarjasti english fohari word rakhera, thulo bold letter maa satyata lai chupauna sakdaina, GO TIKA GO 
 
Posted on 11-04-08 11:27 AM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

whatever mailaa...

just casue he is talking about your newari language, you are approving him, next he will want all of nepal to speak in hindi and at that time I want to see all you newars say wa wa wa to tika again,,,,

dont' worry time will come


Tika,... there is so many languages in nepal, how the hell can you speak all the language as nationl language at the same time. I don't even want to read or write in this thread no more...


peace out.. break nepal into pieces and we have to come back to pick up ur shit together again...

and I am not even a bahun... I know Tika is a bahun...

same like prachanda and baburam both being bahun's led janjati's and became their leader...



 
Posted on 11-04-08 4:56 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     1       ?     Liked by
 

Geology Tiger जु,

सम्बतको विवादमा जाति र भाषालाइ जोडेर गोलमटोल गर्ने, विवादलाइ तथ्यपरक भन्दा भावनापरक बनाउने, गलत तथ्यलाइ जवरजस्ति प्रचार गर्ने र समाधान भन्दा पनि समस्या चर्काउने प्रवृत्ति हाम्रो समाजमा भएको कारण यस्ता विवादहरु कताबाट कता पुग्छ भेउ पाउन कहिलेकाहि गाह्रो हुन्छ । जस्तो माथि मैले कान्तिपुरको समाचार चिरफार गरेर यसको उदाहरण दिएको छु जुन समाचार गलत उद्देश्यबाट प्रेरित छ भन्ने मेरो ठहर छ । तर यस्तो गलत प्रवृत्तिद्वारा निर्देशित समाचारको विरुद्ध कतै पत्रिका जलाउने, सशक्त विरोध गर्ने, नारा जुलुस गर्ने, समस्या चर्काउने घटना भयो ? भएन । सभ्य तरीकाले बिरोध गर्न सकिन्छ, समयक्रममा यस्तो गलत प्रयासको खण्डन हुने नै छ र कान्तिपुरको साख गिर्ने नै छ । तपाइलाइ थाहा छ ? अहिले नै कान्तिपुरको साख तीब्र गतिमा गिर्दो छ, ( यसको वेब हिट अचम्मै गतिमा घटेको छ , नेपालन्यूज - ९८०००, साझा ५६०००, कान्तिपुर ३२०००, न्युजअफनेपाल २७०००, जब कि केहि समय अगाडिसम्म नेपालन्यूज र कान्तिपुरको झण्डै झण्डै बराबर जस्तो थियो, जनआन्दोलन ताका कान्तिपुरले सबैलाइ उछिनेको थियो । )

नेपालसम्बतको पक्षमा तर्क गर्दा म त्यसलाइ सर्वगुण सम्पन्न भन्ने पक्षमा छैन । कम्प्यूटरको यूगमा बसेका हामीले हज्जारौ वर्ष अगाडी चराको प्वाँख वा निगालोको ठुटोलाइ कलम बनाएर लेखापढी गर्नुपर्ने जमानामा बनाएको सम्बतका पछाडि के कस्ता अध्ययनहरु भए, कसकसले बौद्धिक योगदान गरे, आदि केहि थाहा पाउन सकेका छैनौ । हामीले अचेल भन्ने गरेका सोलार, ल्युनिसोलार वा ल्युनार भन्ने अवधारणालाइ हेर्ने दृष्टिकोण नै पनि फरक थियो होला त्यो बेला, किन भने त्यो बेलाको खगोलशास्त्रले पृथ्वीलाइ ब्रम्हाण्डको केन्द्रमा राखेर विश्लेषण गर्थ्यो । शुरुआतमा समयचक्रलाइ मापन गर्ने एउटा इम्पिरिकल मेथड पत्ता लगाइ त्यसलाइ क्यालेण्डर सिस्टम बनाइ लागू गरेको एउटा पक्ष भयो, जसमा समाजका महत्वपूर्ण घटनाक्रम तथा चाडपर्वहरु कहिले कहिले पर्नआउँछ भन्नलाइ सजिलो बनाइदियो । यस्तो क्यालेण्डर सिस्टम अथवा समयको गणना गर्ने सिस्टम सभ्यताको विकास देखि नै शुरु भएको हुनु पर्छ, जुन आजको ११२९ बर्षभन्दा धेरै पुरानो इतिहास बोकेर बसेको छ ।

११२९ बर्ष अगाडि नेपाल सम्बत शुरु हुँदा यसले एउटा कारणलाइ अगाडि सार्यो । यो कारण भनेको सम्पूर्ण नेपालबासी जनताहरुको आर्थिक स्वतन्त्रता तथा ऋणमुक्तिसित सम्बन्धित छ । तात्कालीन समयका प्रतापि राजा मानदेवको नामबाट प्रचलित सम्बतलाइ प्रतिस्थापन गर्दै शुरु भएको यो सम्बतले एउटा ठूलो क्रान्ति सम्पन्न भएको संकेत दिन्छ । साथसाथै त्यसअगाडि समाजमा विद्यमान कतिपय कुराहरु पनि समेटेको हुनु पर्छ भन्ने मेरो अनुमान छ । नत्र नयाँ सम्वतलाइ कतैबाट टपक्क टिपेर थपक्क लागु गर्न सकिदै सकिन्न । अन्य सम्बतको हकमा पनि यो कुरा लागू हुन्छ ।

अनुसन्धानको क्रममा के कुरा थाहा लागेको छ भने माथि no_quiero जु ले उल्लेख गर्नु भएको नेपाल सम्बतका महिनाहरुको नाम जुन छ, त्यसको अस्तित्व नेपालमा आजभन्दा करीव २५०० वर्ष अगाडि नै रहेछ । यससम्बन्धमा त्रिविमा एउटा शोधपत्र पनि प्रकाशित छ । नेपाल सम्बतमा प्रयोग भएको क्यालेण्डर सिस्टमको अस्तित्त्व नेपालमा २५०० वर्ष अगाडि नै रहेको देखा पर्नुले यो सम्वत शुरु हुनु धेरै अगाडि देखि नै हाम्रो देशमा मौलिक क्यालेण्डर सिस्टम थियो भन्ने जनाउँछ । यी जानकारीको निचोड के हो भने नेपाल सम्बतको विकासक्रम, महिनाहरुको नामाकरण र यसमा प्रयोग भएको विशिष्ट शब्दावलिले यसको उत्पति पनि नेपालमै भएको हुनु पर्छ भन्ने आधार दह्रो भएको छ ।

नेपाल सम्बतलाइ ब्यवहारमा ल्याउन समस्या भनेर तपाइले देखाउनु भएको २ बुँदा जो छ, त्यसमा मेरो सहमति छैन । बिक्रम सम्बत ३६५ दिनमा परिवर्तन हुन्छ, इश्वि सम्बत पनि, तर सौर्यचक्र ३६५ दिनमा घुम्ने होइन के रे । चार चार बर्षमा ३६६ दिनलाइ एक वर्ष मानेर इश्वी सम्बतले ऋतुचक्र सित समायोजन गर्न अहिलेसम्म सकेकै देखिन्छ । नेपाल सम्बतले तीन तीन बर्षमा अधिकमास थपेर सोर्यचक्र तथा ऋतुचक्र दुबैलाइ अहिलेसम्म समायोजन गर्न सकेकै देखिन्छ । नेपाल सम्बतमा देखिने प्रमुख समस्या भनेको टुट हुन जाने तिथिहरु हुन । नेपाल सम्बतको तिथिगणनामा शकसम्बतका पण्डितहरुको प्रभाव अधिक हुन गइ यो समस्या बल्झेको हो भन्ने मेरो मत छ । शक सम्बतमा तिथिहरु प्राय टुट हुँदैन, बरु छोटो या लामो हुन्छ, जसले गर्दा एकैदिनमा बिहान एउटा तिथि, दिउँसो अर्को तिथि हुन पनि सक्छ ।  एकै दिन दुइवटा तिथि पर्न आउँदा कहिलेकाहि बिहान गाइतिहार दिउँसो गोरुतिहार मान्नु पर्ने अवस्था पनि आउन सक्छ । यस्तो भएको अवस्थामा नेपाल सम्बतले कम महत्वपूर्ण एउटा तिथिलाइ टूट मान्ने, वा अगाडि पछाडि सार्ने तर महत्वपूर्ण तिथिलाइ पूर्ण दिन नै मान्ने चलन थियो । यस्तो समस्याहरु अध्ययन गरी समाधानका उपाय पेश गर्ने काम सरकारद्वारा गठीत आयोगले गर्ला भन्ने आशा छ । अथवा तपाइको सुझाव पनि काम लाग्न सक्छ ।

घोषणा गर्नु अगाडि बिशेष अनुसन्धान भएर निर्क्यौल भएको भए राम्रो हुनेथियो भन्ने भावनामा मेरो विमति छैन, तर नेपालमा धेरैजसो कुराहरु उल्टो हुने रहेछ । चुनावको दिन घोषणा भएपछि मात्रै कस्तो नियम बनाउने, कस्तो कार्यक्रम तय गर्ने भन्ने तैयारी शुरु हुन्छ नेपालमा । पहिला घोषणा गर्ने अनि बल्ल अध्ययन गर्ने अनौठो परम्परा नेपालमा नजीर बनेको छ । यस्तो नभएको भए राम्रो । तर यस्तै तरीकाले नै भएको भए पनि राम्रो घोषणा भयो भने त्यसको स्वागत गर्न किन कञ्जुस्याँइ गर्ने ? हैन त ?


तिका: जु

तपाइका कतिपय कुराहरु जायज छन, कतिपय तर्कहरुमा मेरो सहमति छ । भाषाको विवाद, जातिको विवादहरुमा अल्झिदा नेपाल सम्बतको विभिन्न पक्षमा हुन सक्ने जानकारीमुलक बहसहरु ओझेलमा पर्छ कि भन्ने लागेको छ । तपाइ यी सवालहरुमा राम्रै जानकारी राख्नु हुँदो रहेछ भन्ने त तपाइको तर्कहरुले छ्याङ्गै बताएको छ । नेपाल सम्बतको बिषयमा केन्द्रीत भइ तपाइको कलम चले यो धागोमा राम्रो सुहाउने थियो कि भन्ने मेरो धारणा ।


 
Posted on 11-04-08 6:15 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

tika bro, let me take u back to the history, this nepali language which we generally speak is as u said developed by khas jati, and it is particularly their language.... but, the main point is, at those days may be u had ur language i.e. tharu or hindi whatever, and other people had their own languages according to their community and religion. but why didn't other languages developed and spoken as national language ?? its simply because, the majority of people in nepal spoke nepali language at that time and other people followed it, there was no any force for them to use nepali language, but instead of supporting their own language they started speaking in nepali language.. that means larger community gets more priority, its not because of people in power forced others to use nepali language...

and as u mentioned parbate language was later called gurkha language during gurkhs rule, but do u still know the fact that the language spoken in gurkha was different then nepali ??? gurkha is typically gurung society and they spoke gurung language at that time, so u better don't link nepali.... if u still know the fact of nepal then there are more than 40 types of rai in nepal and all of them have their separate languge according to the cast and community..

now let me tell u how nepali language was developed........ at the time of gautam buddha, pali language was famously used all over asia, so, u find lots of scripts written in pali from those period.... there were small kingdom and community in nepal who had their own language, but to communicate with each other (communities), they used pali language and later on as per the ascent and native language different improvised versions of pali came to existance.... and the saha dynasty who came from far farsi land improvised the same pali language mixing some words and pronounciation from farsi language.... after nepal was unified the language was given the name called nepali, which is improvised version of pali.... there are still lots of improvised version of pali language in the world, and they improvised that language according to their community.... u can hear tibetan, jonkha, etc, they are improvised from pali.

As u were stucked in khas jatis, yes they were the most educated persons in nepal, majority according to the population too, but still khas jatis in east nepal and khas jati in west nepal they had different languages, if u didn't know.... and till now, deuda language is most famous in western nepal.... and let me tell u about khas jatis... they were educated and they used to go india, specially banaras to study sanskrit.... and before hindu territory uttar prades was famous place among muslims from west, who migrated there... their language was urdu and now what language u usually use hindi is also an improvised from urdu language.... the people from banaras started a script called devanagari, which was derived from sanskrit scripts, and those nepali people studying there used that script as form of written language... after coming back to nepal, they started writing each and every thing in that script and mixed pali + sanskrit words.... they taught most of other peoples to read those scripts, which eventually became famous..... every people who learned that script started writing about their feellings and many other things, etc etc.. this how people started learning things, and in modern era, people started writing stories, peoms, essays, letters using devanagari script in nepali language.... if u still read those articles written at earlier stage of devanagari script, then u may not understand it, cause it was different improvised version of pali + sanskrit language, because they contain lots of pali and sanskrit words... but in later stage the writings were given a new form by formation of grammar, vowels and verbs which instructed writers to follow some rules and criterias, and so new nepali language was created... with perfect grammar and word formation.... and there were several articles written in nepali language that all other communities have to follow it, not by force, because nepali language was famous and was subject of interest for them, because of great peoms and stories, etc, etc...

I know what is in ur mind now, u might be thinking nepali language was improvised from sanskrit, yes u r right my friend, pali language is improvised from sanskrit and nepali was improvised from pali + sanskrit.....

and let me tell u one more fact, at that era nepali language was used specially in eastern language and till now u can see most of the nepali articles are written by mid and eastern nepali people, and people from west nepal were bound to follow the language because of the popularity of language at that time, some of them followed indian language and they have deuda language, which contains lots of hindi words, but still it sounds different then hindi or nepali.... and maximum of people followed nepali language and devanagari script because most of the articles written by nepali people was in nepali language and devanagari script, so, it was compulsory taught in schools.. and laxmi parsad devkota was our education minister at that period who made this rule and strictly instructed all the schools in nepal to teach this language..... may be he made compulsion for people like u to learn this language, but just imagine what will ur condition be if u have not learned to read and write.... angutha chhap.... so, he made this rule to educate the people which was practically successfull....

our nepali language has soooo long history and it have struggled through different periods and finally formed  a good means of communication between nepali people, now, u r saying it is just khas language.... where the f.u.c.k. ur tharu language and other languages were at those periods of struggle?? if ur community had such big concern at that time then they would have come with different language and different script to write, and how many articles, peoms, essays or stories u have read in ur language??? I guess it can be counted in finger.... so, at this period, after all the structure is formed u cannot say nepali language is just khas language, it is and was used by even ur community and all other peoples in nepal..... now u have come up with ur new idea of hindi language to communicate with nepali people then u r making fool of yourself.... nepali language may have beed generated and developed by khas, but it was practically used by all the communities as a means of communication in nepal.... so, it was named national language of nepal.... there are several other national languages of nepal like newari, maithili, etc. but the majority of people use nepali.... so, please come up with good idea then to murmur what u read in wikipedia.... I know u searched in wikipedia for nepali language which described nepali language as khas parbate and gurkha and later nepali, but wikipedia is not right all the time, it might be updated by peoples like u full of passimistic ego... i know we can't see our a.s.s but we don't have to ask someone if we have hole on our a.s.s.... so, don't dig ur dignity just know ur identity, if u r nepali and u stay inside territory of nepal, and if u can read, write, speak and understand nepali, then better use nepali... be proud of what u r then to hook a pin in ur identity.....

 
Posted on 11-04-08 9:18 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

http://en.wikipedia.org/wiki/Nepali_language

Nepali is an Indo-Aryan language spoken in Nepal, Bhutan, and some parts of India and Myanmar (Burma).

It is the lingua-franca of Nepal and also one of 23 Official languages of India incorporated in 8th annex of the Indian Constitution. It is a lingua-franca of the state of Sikkim and has official language status in West Bengal's Darjeeling district. Similarly it is spoken in State of Uttaranchal as well as in the state of Assam. Roughly half of the population of Nepal speaks Nepali as a mother tongue. Beside this some casr and religions use their own language as their first language. However, the official language of Nepal is Nepali.

Nepali goes by various names. It was also called Gorkhali or Gurkhali, "the language of the Gurkhas," and Parbatiya, "the language of the mountains." Khaskura is the oldest term, literally speech of the Khas, who were peasants in the Karnali-Bheri basin of far western Nepal since prehistoric or early historic times. Khaskura exists in opposition to Khamkura, a group of Tibeto-Burman dialects spoken by Kham peoples in the highlands separating the Karnali-Bheri basin from the Gandaki basin in central Nepal.


 



PAGE: <<  1 2 3 4 NEXT PAGE
Please Log in! to be able to reply! If you don't have a login, please register here.

YOU CAN ALSO



IN ORDER TO POST!




Within last 200 days
Recommended Popular Threads Controvertial Threads
TPS Re-registration
What are your first memories of when Nepal Television Began?
निगुरो थाहा छ ??
ChatSansar.com Naya Nepal Chat
Basnet or Basnyat ??
Sajha has turned into MAGATs nest
NRN card pros and cons?
TPS Re-registration case still pending ..
Do nepalese really need TPS?
कता जादै छ नेपाली समाज ??
Will MAGA really start shooting people?
Democrats are so sure Trump will win
मन भित्र को पत्रै पत्र!
Top 10 Anti-vaxxers Who Got Owned by COVID
I regret not marrying a girl at least for green card. do you think TPS will remain for a long time?
काेराेना सङ्क्रमणबाट बच्न Immunity बढाउन के के खाने ?How to increase immunity against COVID - 19?
TPS Work Permit/How long your took?
Breathe in. Breathe out.
3 most corrupt politicians in the world
Dementia Joe has been selected to become the next President
Nas and The Bokas: Coming to a Night Club near you
Mr. Dipak Gyawali-ji Talk is Cheap. US sends $ 200 million to Nepal every year.
Harvard Nepali Students Association Blame Israel for hamas terrorist attacks
TPS Update : Jajarkot earthquake
NOTE: The opinions here represent the opinions of the individual posters, and not of Sajha.com. It is not possible for sajha.com to monitor all the postings, since sajha.com merely seeks to provide a cyber location for discussing ideas and concerns related to Nepal and the Nepalis. Please send an email to admin@sajha.com using a valid email address if you want any posting to be considered for deletion. Your request will be handled on a one to one basis. Sajha.com is a service please don't abuse it. - Thanks.

Sajha.com Privacy Policy

Like us in Facebook!

↑ Back to Top
free counters