सुना है
अक्सर सुना है
जिन्दगी है इक हशिन ख्वाब जैसा
कभी अपना जैसा, कभी बेगाना जैसा
कभी मन्दिर जैसा, कभी मसान जैसा
सपनोकी फुलों कितने खिल्ते है यहाँ
और डालियोंसे मुरझाते कितने गिरते है यहाँ
सुना है
अक्सर सुना है
जिन्दगी है इक नाटक जैसा
दो पल तुम कुछ कहो, दो पल हम कुछ कहें
कुछ खुशी तुम बांटो, कुछ दर्द हम कहें
कुछ खामोशीसा हो जैसे पुनमका आसमां
हम तुम हो बाहोंमे ना रहे दर्मियां
सुना है
अक्सर सुना है
जिन्दगी है इक जंग जैसा
मै दुश्मनोको मारुगां, पर वो दिखता है कैसा
शायद मेरे जैसा या फिर आपका जैसा
खुदा तु बोल मुझे आज
तेरे ही बन्दोको मारके मै कैसे हो जाउंगा पाक
बहत अच्छे है किऊकी
सब सायर लोग आप जैसे बच्चे है ।
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